बॉक्स ऑफिस पर इरफान खान का 'लंच बॉक्स' पसंद किया जा रहा है। हाल में जब उनसे बात हुई तो उन्होंने अपने करियर से लेकर अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बहुत-सी बातें हमसे शेयर कीं:
'लंच बॉक्स' में आपके काम की खूब तारीफ हो रही है। क्या इस किरदार को करते वक्त कुछ चीज ध्यान में थीं?
कुछ कहानियां और निर्देशक ऐसे होते हैं, जिनके लिए किरदार की बारीकियां बहुत मायने रखती हैं। वही उस कहानी की स्ट्रेंथ होती है और उसके लिए डायरेक्टर का एक नजरिया होता है। कई फिल्मों में इस तरह की बारीकी के लिए जगह नहीं होती कि आप किस तरह से सांस ले रहे हैं? किस तरह से उठ-बैठ रहे हैं। 'लंच बॉक्स' और 'नेमसेक' जैसी फिल्में ऐसी रही हैं, जिनमें इस तरह की डीटेलिंग थी। यही वजह थी कि 'लंच बॉक्स' के डायरेक्टर रितेश को इस तरह के नजरिए की जरूरत थी। इसीलिए आपको ये चीजे भाई हैं। एक तो कहानी का इमोशन बहुत खूबसूरत था। मेरे एक अंकल हैं मंज़ूर अहमद खान। वे सरकारी नौकरी में थे और सालों से बस और ट्रेन से सफ़र करते रहे और जब वे लौटते थे, तब उनका हाल बहुत ही पस्त होता था। मैंने उन्हें बहुत करीब से देखा है। मुझे लगता है कि बड़ा शहर कुछ लोगों को खासकर बुजुर्गों के लिए बहुत ही ब्रूटल है। रात को जब ये ट्रेन और बसों के धक्के खाकर घर लौटते हैं, तो लगता है कि सारा खून निचुड़ गया हो। कई बार उनके पैरों में कुचले जाने के निशान होते थे। और जब मुझे यह किरदार मिला तो मुझे लगा की इसमें मैं वे बातें शेयर कर सकता हूं, जो मेरे मामा के साथ बीती हैं। इस रोल के लिए मेरा रोल मॉडल वही थे।
'लंच बॉक्स' में आपके काम की खूब तारीफ हो रही है। क्या इस किरदार को करते वक्त कुछ चीज ध्यान में थीं?
कुछ कहानियां और निर्देशक ऐसे होते हैं, जिनके लिए किरदार की बारीकियां बहुत मायने रखती हैं। वही उस कहानी की स्ट्रेंथ होती है और उसके लिए डायरेक्टर का एक नजरिया होता है। कई फिल्मों में इस तरह की बारीकी के लिए जगह नहीं होती कि आप किस तरह से सांस ले रहे हैं? किस तरह से उठ-बैठ रहे हैं। 'लंच बॉक्स' और 'नेमसेक' जैसी फिल्में ऐसी रही हैं, जिनमें इस तरह की डीटेलिंग थी। यही वजह थी कि 'लंच बॉक्स' के डायरेक्टर रितेश को इस तरह के नजरिए की जरूरत थी। इसीलिए आपको ये चीजे भाई हैं। एक तो कहानी का इमोशन बहुत खूबसूरत था। मेरे एक अंकल हैं मंज़ूर अहमद खान। वे सरकारी नौकरी में थे और सालों से बस और ट्रेन से सफ़र करते रहे और जब वे लौटते थे, तब उनका हाल बहुत ही पस्त होता था। मैंने उन्हें बहुत करीब से देखा है। मुझे लगता है कि बड़ा शहर कुछ लोगों को खासकर बुजुर्गों के लिए बहुत ही ब्रूटल है। रात को जब ये ट्रेन और बसों के धक्के खाकर घर लौटते हैं, तो लगता है कि सारा खून निचुड़ गया हो। कई बार उनके पैरों में कुचले जाने के निशान होते थे। और जब मुझे यह किरदार मिला तो मुझे लगा की इसमें मैं वे बातें शेयर कर सकता हूं, जो मेरे मामा के साथ बीती हैं। इस रोल के लिए मेरा रोल मॉडल वही थे।
आप कितने रोमांटिक हैं?
मैं बेहद रोमांटिक हूं। मेरा मानना है कि दिल की खुराक तो बेसिकली प्यार ही है। मैं मानता हूं कि प्यार का जो जज्बा है, वह हम इंसानों के लिए एक वरदान है। मुझे लगता है कि अगर जिंदगी में रोमांस न हो तो जिंदगी बंजर बन जाएगी। इसीलिए हमें प्यार में पड़ते रहना चाहिए। मैं कामना करता हूं कि ईश्वर हम सभी को प्यार करने की कुव्वत दे। इस रोमानी अहसास से जो न गुजरा, मेरे हिसाब से वह बदनसीब है।
मैं बेहद रोमांटिक हूं। मेरा मानना है कि दिल की खुराक तो बेसिकली प्यार ही है। मैं मानता हूं कि प्यार का जो जज्बा है, वह हम इंसानों के लिए एक वरदान है। मुझे लगता है कि अगर जिंदगी में रोमांस न हो तो जिंदगी बंजर बन जाएगी। इसीलिए हमें प्यार में पड़ते रहना चाहिए। मैं कामना करता हूं कि ईश्वर हम सभी को प्यार करने की कुव्वत दे। इस रोमानी अहसास से जो न गुजरा, मेरे हिसाब से वह बदनसीब है।
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