गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी और शिवसेना में दूरियां बढ़ती जा रही है। बीजेपी में मचे घमासान के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में पार्टी के काम करने के तरीके और मोदी की उम्मीदवारी पर छिड़ी बहस पर निशाना साधा है। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर नरेंद्र मोदी ने स्कूली बच्चों से बात करते हुए कहा था कि वो पीएम बनने का सपना नहीं देखते, उनकी प्राथमिकता तो 2017 तक गुजरात के लोगों की सेवा करने का है। मोदी के इस बयान पर सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया था।
अब एक बार फिर शिवसेना ने उनके इस बयान को आड़े हाथों लिया है। ‘सामना’ में लिखा है कि पीएम बनने को लेकर नरेंद्र मोदी ने अपना इरादा स्कूली बच्चे को समझा दिया, लेकिन उनकी अपनी पार्टी के लोग मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित करने के लिए दबाव बना रहे हैं, उन्हें मोदी कैसे समझाएंगे। छोटे बच्चों को चॉकलेट दे दो तो वो सवाल भूल जाते हैं, लेकिन राजनीतिक खेल में ये संभव नहीं।
‘सामना’ में आगे लिखा है कि हर किसी को लगता है कि जब बीजेपी के चुनावी रथ पर मोदी सवार होंगे, तो लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा, ऐसे में मोदी की नई भूमिका से लोग हैरान होंगे। पूरे देश में मोदी गुजरात के विकास का मॉडल लागू करना चाहते हैं। उन्हें भारत मां का कर्ज भी चुकाना है। ऐसे में एक स्कूली बच्चे ने दूध में नमक डाल दिया है, जिसके चलते मोदी ने 2017 तक गुजरात ना छोड़ने का फैसला किया है।
मोदी का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के रूम में अभी तक घोषित न किए जाने पर भी ‘सामना’ में लिखा गया है। ‘सामना’ में लिखा गया है कि मोदी की कमान वाली बीजेपी में कई धाराएं मौजूद हैं। जिसके चलते आज तक उनका नाम आधिकारिक तौर पर पीएम उम्मीदवार के लिए घोषित नहीं किया जा सका है। पार्टी के नेता अक्सर कहते हैं कि पीएम का उम्मीदवार बीजेपी को ही तय करना है। इस समय जिस तरह की अराजकता फैली हुई है, उसके चलते ऐसा माहौल खड़ा हुआ है कि अभी मंडल का पता नहीं और कई दूल्हे राजा सज-धज कर तैयार हो गए हैं। इनमें से तो कई लोगों में घोड़े की रकीब में पैर रखने की भी तमीज नहीं और कई तो घोड़े को खरारा करने लायक भी नहीं, फिर भी वो पीएम का सपना देख रहे हैं।
मोदी ने स्कूली बच्चों को इतिहास समझाया है, लेकिन अपने दल के राजनाथ सिंह, अमित शाह, स्मृति ईरानी, बलबीर पुंज जैसे बड़े-बड़ों को कैसे समझाएंगे। मोदी को 2017 तक गुजरात की सेवा करनी है। उनकी सेवावृति की राजनीति से बवंडर खड़ा हुआ है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता।
गौरतलब है कि शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को छात्रों से बात करते हुए मोदी ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का सपना कभी नहीं देखा और ना ही कभी देखेंगे। मोदी ने कहा कि वो कुछ बनने के लिए नहीं बल्कि कुछ करने के लिए जीते हैं। मोदी ने ये भी कहा कि गुजरात की जनता ने 2017 तक सेवा करने का मौका दिया है और उसे निभाना उनकी पहली प्राथमिकता है।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने मोदी पर हमला बोला हो। शिवसेना गाहे बगाहे मोदी पर निशाना साधती रहती है। मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी पर भी शिवसेना असहमति जता चुकी है। कुछ ही दिनों पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने जमकर कटाक्ष किया था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लालकिले से दिए गए भाषण की तीखी आलोचना करने वाले मोदी को ठाकरे ने अपने तंज से आइना दिखा दिया। उन्होंने साफ कहा कि मोदी अगर पीएम बन गए तब तो वो पाकिस्तान से दाऊद इब्राहिम जैसे लोगों को घसीटते हुए देश ले आएंगे और फांसी पर टांग देंगे। शिवसेना ने वंजारा की चिट्ठी के बाद भी मोदी पर निशाना साधा था कि मुठभेड़ों की जिम्मेदारी 100 फीसदी राज्य सरकारों की ही होती है।
Source-IBN7
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