Thursday, September 19, 2013

पढ़ें-लड़की की जुबानी उस रात का आसाराम का ‘सच’


 नाबालिग से यौन शोषण के आरोपी आसाराम जोधपुर की जेल में बंद हैं। न्यायिक हिरासत के मुताबिक आसाराम को 30 सितंबर तक जेल में रहना होगा। उनकी जमानत पर एक अक्टूबर को सुनवाई होगी। इस बीच आईबीएन7 के हाथ लगा है 15 अगस्त की उस रात का काला सच जो पीड़ित लड़की ने अदालत के सामने दिए बयान में सुनाया। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में लड़की ने जो कुछ कहा वो आसाराम को सालों तक जेल की रोटी खाने पर मजबूर कर सकता है। क्योंकि ये बयान आसाराम के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत बन चुका है और अब ये आसाराम के सामने चुनौती है कि वो उस बयान को झूठा साबित करके दिखाएं।
आसाराम ने नाबालिग बच्ची को कहां बुलाया? आध्यात्मिक गुरु का चोला पहने आसाराम ने उस बच्ची के साथ क्या किया? आसाराम के चंगुल से निकलने के लिए वो कब चिल्लाई? आसाराम ने उस बच्ची को कैसे डराया? चुप रहने के लिए किस बात की धमकी दी? इन सारे सवालों के जवाब उस बच्ची के बयान में दर्ज हैं। वो बयान जो आसाराम की भक्ति का साम्राज्य ढहा सकता है। जो आसाराम को भक्तों की नजरों में गिरा सकता है। जो खुद को सत्य कहने वाले इस इंसान के असत्य को बेनकाब कर सकता है। ये वो शब्द हैं जो आसाराम पर यौन शोषण के संगीन इल्जाम लगाने वाली नाबालिग बच्ची ने खुद कहे। कानून की अदालत में ये शब्द सबूत हैं क्योंकि इन शब्दों का गवाह खुद एक मजिस्ट्रेट है। गौर से पढ़िए धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाया गया नाबालिग का बयानः-
“06 अगस्त को मेरी तबीयत खराब हुई थी। पेट दर्द हुआ था। मुझे शिल्पी शरदचंद्र के पास लेकर गई। (वहां भव्या नाम की एक लड़की और थी)। तब मुझे शिल्पी ने कहा कि मुझपर प्रेत की छाया है। शिल्पी ने अजीब सी आवाजें निकालीं और कहा कि तुम भी इसी तरह बातें करने लगोगी। 07 अगस्त को मेरे माता-पिता को फोन किया गया। शिल्पी ने कहा कि आपकी बेटी की तबीयत खराब है, आप आ जाओ।
मेरे भाई के नंबर पर फोन किया गया था। वे लोग 8 अगस्त को छिंदवाड़ा आ गए थे। 8 तारीख को मां-बाप को मुझसे मिलने नहीं दिया गया। 9 तारीख को शिल्पी ने माता-पिता से कहा कि इसे प्रेत की छाया है, बापू ही इलाज करेंगे, लेकिन बापू कहां हैं हम पता कर रहे हैं। 10 तारीख को मेरे पिता ने शिवा को फोन किया। शिवा ने बताया कि 11 से 15 तक बापू जोधपुर में हैं, तुम लोग ट्रेन से जोधपुर आ जाओ। मणाई आश्रम का पता भी शिवा ने लिखवाया था। हम लोग 13 को मंडोर एक्सप्रेस पकड़ कर 14 को सुबह जोधपुर पहुंच गए।
जोधपुर से ऑटो वाले को समझ नहीं आ रहा था कि मणाई आश्रम कहां है। फिर ऑटो वाले की शिवा से बात करवाई गई और शिवा ने पता समझाया। हम आश्रम पहुंचे, जो एक फार्म हाउस था। गेट के बाहर काफी लोग खड़े थे, जो आदमी तैनात था उसने हमें अंदर नहीं जाने दिया। फिर हमने शिवा से उसकी बात करवाई, तब अंदर जाने दिया।
जब हम अंदर गए तब बापू पेड़ के नीचे बैठे थे और 150 लोग सामने बैठे थे। बापू उन्हें प्रवचन दे रहे थे। उसी दौरान शिवा ने मुझे और मेरे परिवार को बापू से मिलवाया। तब बापू ने पूछा कि क्या ये वही लड़की है, जिसे भूत का साया है। फिर बापू ने कहा कि इसका अनुष्ठान करेंगे, अभी तुम आराम करो। फिर हमें वहीं फार्म हाउस के मालिक के ऊपर वाले कमरे में ठहराया गया। शाम को फिर बापू ने मुझे बुलाया। वो उस समय टहल रहे थे। टहलते हुए मुझसे पूछा कि कौन सी क्लास में पढ़ रही हो, क्या बनना चाहती हो। तब मैंने कहा कि मैं सीए करना चाहती हूं, तब बापू ने कहा कि सीए करके क्या करोगी, बड़े से बड़े अधिकारी मेरे पैरों में पड़े रहते हैं। तुम तो बीएड करके शिक्षिका बनो, तुम्हें अपने गुरुकुल में शिक्षिका लगा दूंगा और बाद में प्रिंसिपल भी बना दूंगा। फिर कहा कि अभी तुम पर भूत का साया है, तुम रात को वापस आओ, तुम्हारा भूत उतारूंगा।
रात में मैं अपने मां-बाप के साथ कुटिया पर गई। बापू एक चबूतरे पर बैठे थे। वहीं पर जाने के बाद मेरे माता-पिता को कुटिया के बाहर गेट पर इंतजार करने को कहा। फिर उन्होंने लाइट बंद कर कुटिया का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। फिर पिछला दरवाजा खोलकर मुझे कुटिया के अंदर आने को कहा। जब मैं अंदर गई तब बिल्कुल अंधेरा था। एसी की सिग्नल लाइट और बाहर से कुछ प्रकाश आ रहा था। उससे मैंने देखा कि बापू सफेद चोला और शॉल ओढ़कर बैठे हैं।
फिर बापू ने कहा कि तुम देखकर आओ कि तुम्हारे मां-बाप कहां हैं। मैंने देखा कि पिताजी जा चुके हैं और केवल मां ही बैठी थीं। फिर बापू ने मुझे बिस्तर पर पास में बैठने को कहा। मेरे पास बैठते ही मेरे हाथ को सहलाना शुरू कर दिया। बाद में...उतारी.....छेड़छाड़ करने लगा..इसी बीच वो खुद भी निर्वस्त्र हो गया। फिर उसने कहा कि तुम मेरे सामने संपूर्ण समर्पण कर दो।....कोशिश की, मेरे अंगों को छूने लगा..छेड़छाड़ करने लगा...ये सब करीब डेढ़ घंटे तक चला। जब उसने जबरदस्ती....कोशिश की तब मैं चिल्लाई...तो हाथ से जबरदस्ती मुंह दबा कर बंद कर दिया। तब उसने कहा कि तुम ये बात किसी से बताना मत। चिल्लाना बंद कर, नहीं तो तुम्हारे मां-बाप को यहीं पर मरवा कर गायब करवा दूंगा, पता ही नहीं चलेगा। फिर मैं कपड़े पहनकर वहां से जाने लगी, फिर बाहर आई, मां ने पूछा कि क्या हुआ। मैंने मां को कुछ नहीं बताया, क्योंकि मुझे डर था कि रात में मेरे मां- बाप को मरवा सकता है, क्योंकि उसने धमकी दी थी।
इससे पहले शिल्पी मुझे मार्च में भी हरिद्वार के आश्रम में ले गई थी, जहां आसाराम आए हुए थे। वहां आसाराम मुझे अकेले में मिला था और मेरे गालों को सहलाया था। उस वक्त मैंने सोचा कि बापू गुरु हैं और मैं इनकी शिष्या हूं इसलिए सहला रहे हैं। सुबह उठकर आसाराम ने मैसेज भिजवाया कि इलाज के लिए इसे अहमदाबाद भेजो। उसने कहा कि अहमदाबाद में मैं इसका इलाज भी कर दूंगा और अच्छी वक्ता बना दूंगा। जब मेरे मां-बाप ने कहा कि आसाराम ने ये कहा है तो मैंने कहा कि मैं अहमदाबाद जाऊंगी तो मेरी पढ़ाई का हर्जा होगा। तब आसाराम ने कहा कि उसे जल्दी ही वापस गुरुकुल भेज दूंगा। ये कहने पर मेरे मां-बाप मुझे अहमदाबाद भेजना चाहते थे। तब मैंने पिता को बताया कि आप जिसे गुरु समझ रहे हैं वो शैतान है, बुरा इंसान है। इसलिए आप यहां से चलो। तब फार्म हाउस का मालिक हमें गाड़ी में स्टेशन छोड़कर आया। फिर वहां से हम शाहजहांपुर आए वहां मैंने मां-बाप को पूरी बात बताई। फिर हम लोग दिल्ली आए। जहां आसाराम से मिलने की कोशिश की, वे मिले नहीं तब हमने रिपोर्ट दर्ज कराई”।





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